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पत्नी की “प्राइवेट” गर्भपात रिपोर्ट का इस्तेमाल पति एडल्ट्री साबित करने के लिए नहीं कर सकता: कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ पीठ

Team MDO by Team MDO
January 7, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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hindi.mensdayout.com

पत्नी की "प्राइवेट" गर्भपात रिपोर्ट का इस्तेमाल पति एडल्ट्री साबित करने के लिए नहीं कर सकता: कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ पीठ

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कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ पीठ (Dharwad Bench of Karnataka High Court) ने हाल के एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी के अवैध संबंध को उसके प्राइवेट मेडिकल रिकॉर्ड को हासिल करके साबित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एनएस संजय गौड़ा (Justice NS Sanjay Gowda) ने धारवाड़ में एक फैमिली कोर्ट द्वारा 30 मार्च, 2021 को पारित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि यदि इस दृष्टिकोण को स्वीकार किया जाता है तो यह डॉक्टर-मरीज की गोपनीयता की पूरी अवधारणा को नष्ट करने और डॉक्टर को वैवाहिक विवाद में घसीटने के समान होगा।

क्या है मामला?

यह आदेश पति द्वारा अपनी पत्नी के कथित गर्भपात से संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए एक डॉक्टर को बुलाने की मांग करने वाली याचिका पर पारित किया गया था। पत्नी ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड व्यक्ति के लिए “बिल्कुल निजी” हैं और पति सहित किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इसकी मांग नहीं की जा सकती है।

पति ने तर्क दिया कि उसने “एडल्ट्री लाइफ” के बारे में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी जी रही थी। जिस आधार पर तलाक की मांग की गई है, वह यह है कि पत्नी ने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया और कम से कम दो साल की अवधि तक उसे छोड़ दिया था। तलाक के मामले के अलावा पत्नी द्वारा भरण-पोषण की कार्यवाही भी शुरू की गई थी।

अदालत ने क्या कहा?

दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस संजय गौड़ा ने पत्नी की याचिका को मंजूर कर लिया। जस्टिस गौड़ा ने कहा कि एक डॉक्टर को उसकी घोषणा के उल्लंघन में कार्य करने के लिए निर्देशित करने की शक्ति का प्रयोग केवल मजबूत और सम्मोहक कारणों के लिए किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कमोबेश केवल तभी प्रयोग किया जाना चाहिए जब सार्वजनिक हित का कोई तत्व शामिल हो।

अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड निजी हैं और सार्वजनिक उपभोग के लिए नहीं हैं। जज ने कहा कि उसका मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने या जानकारी प्रकट करने का निर्देश देना गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

जज ने कहा कि यदि पति का मामला है कि उसकी पत्नी ने एडल्ट्री जीवन व्यतीत करके उस पर क्रूरता की है, तो इस आरोप को कानून के अनुसार ठोस सबूत के साथ साबित करना होगा। प्राइवेट मेडिकल रिकॉर्ड तलब कर इस आरोप को साबित नहीं किया जा सकता है।

READ ARTICLE IN ENGLISH

Husband Can’t Use Wife’s “Private” Abortion Report To Prove Adultery: Dharwad Bench of Karnataka High Court

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Tags: #पुरुषोंकीआवाजएडल्ट्रीकर्नाटक उच्च न्यायालयलिंग पक्षपाती कानून
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