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कर्नाटक हाई कोर्ट ने दूसरी शादी कर चुके पिता को बच्चे की कस्टडी देने से किया इनकार, कहा- ‘मां अकेली हो जाएगी’

Team MDO by Team MDO
January 5, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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hindi.mensdayout.com

कर्नाटक हाई कोर्ट ने दूसरी शादी कर चुके पिता को बच्चे की कस्टडी देने से किया इनकार, कहा- 'मां अकेली हो जाएगी'

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कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने 21 दिसंबर, 2021 को अपने आदेश में एक पिता को बच्चे की अंतरिम कस्टडी देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने दोबारा शादी कर ली थी। हाई कोर्ट के अनुसार सौतेली मां अपनी (Biological) मां की तरह उस बच्चे का देखभाल और प्यार नहीं कर सकती है। अदालत एक पिता और मां के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर जारी लड़ाई की सुनवाई कर रही थी, जो एक दूसरे से अलग हो गए थे।

जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित (Justice Krishna S Dixit) की सिंगल बेंच ने फैमली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही पिता को बच्चे की कस्टडी देने से भी इनकार कर दिया। सौतेली मां द्वारा भी अदालत में हलफनामा दाखिल किया गया था कि वो बच्चे की देखभाल करेगी। हालांकि कोर्ट ने कहा कि बायोलॉजिकल मां के लिए बहुत कम सांत्वना होगी।

क्या है मामला?

पिता द्वारा यह दलील देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि वो वित्तीय दृष्टिकोण से बच्चे की देखभाल करने और उसे सबसे अच्छी परवरिश, शिक्षा और एक संपूर्ण पारिवारिक वातावरण देने लिए बेहतर स्थिति में है। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि मां ने नाबालिग बच्चे और याचिकाकर्ता के प्रति अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की।

बच्चे की इच्छा और मां का अकेलापन

हाई कोर्ट ने पिता के उस तर्क को खारिज कर दिया कि वह आर्थिक रूप से अच्छी स्थिति में है। अदालत ने कहा कि बच्चे की कस्टडी से इसका कोई लेना देना नहीं है कि वो आर्थिक और शैक्षिक रूप से बेहतर हालात में है, जब बच्चे की सभी आवश्यकताएं प्रतिवादी मां द्वारा विधिवत पूरी की जाती हैं। पक्षों और नाबालिग बच्चे के साथ लंबी बातचीत के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवादी द्वारा बच्चे को अच्छी तरह से तैयार किया जा रहा था और बच्चा भी उसकी हिरासत में रहना चाहता है।

अदालत ने कहा कि बच्चा भी अपनी मां के साथ रहना चाहता है, लिहाजा पिता को उसकी कस्टडी नहीं मिलेगी। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को बच्चे की कस्टडी दे दी जाती है तो मां अकेली रह जाएगी, जबकि याचिकाकर्ता बच्चे और पत्नी के साथ रहेगा। कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा कि यह मानने का एक अच्छा कारण है कि मातृ संबंधों में बच्चे के प्रति गहरा लगाव होता है।

मुआवजे के साथ याचिका खारिज

पहली पत्नी को मुआवजे के तौर पर 50,000 रुपये देने का आदेश देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने पति का याचिका खारिज कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ता (पिता) को एक महीने के भीतर प्रतिवादी (पत्नी) को 50,000 रुपये भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि अगर पति प्रतिवादी को मुआवजे की रकम नहीं देता है तो फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए मुलाकात (बच्चे से) के अधिकार निलंबित कर दिए जाएंगे। जस्टिस दीक्षित ने आखिरी में दोनों पक्षों के बीच के मुद्दों से निपटने वाली अदालतों से 9 महीने की अवधि के भीतर उनके समक्ष याचिकाओं का निपटान करने और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अनुपालन रिपोर्ट करने का भी आग्रह किया।

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READ ORDER | Child Custody Denied To Father As He Remarried & Mother Would Become Lonely: Karnataka High Court

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Tags: #चाइल्डकस्टडीकर्नाटक उच्च न्यायालयलिंग पक्षपाती कानून
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