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बच्चों की कस्टडी से वंचित करने के लिए पत्नी ने पति के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत दर्ज कराई झूठी FIR, कोर्ट ने महिला के खिलाफ कार्रवाई का दिया आदेश

Team MDO by Team MDO
March 10, 2022
in कानून क्या कहता है, हिंदी
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mensdayout.com

Wife Files False POCSO Against Husband To Deprive Custody Of Children; HC Orders Police Action Against Woman

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मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) पिछले दिनों यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के एक मामले को देखकर हैरान रह गया। कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्य कि बात है कि एक महिला अपने पति पर अपनी 11 साल की बेटी के साथ अवैध यौन संबंध रखने का आरोप लगाने की हद तक कैसे जा सकती है। यह मामला अगस्त 2019 का है।

जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश ने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि महिला अपने अलग हो चुके पति से बदला लेने और उन्हें अपनी दो बच्चियों की कस्टडी से वंचित करने के लिए इतने निचले स्तर तक क्यों गिर गई? उन्होंने कहा कि इस मामले ने कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।

जज ने आगे कहा कि अदालत का ध्यान इसी तरह की घटनाओं की ओर आकर्षित किया गया था जहां पत्नी द्वारा झूठी शिकायतें दी गई थीं, जैसे कि पति ने अपनी बेटी के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध किया है। कोर्ट ने कहा कि अदालत को सूचित किया गया था कि कैसे फैमिली कोर्ट में इस तरह की सस्ती रणनीति अपनाई जाती है।

अदालत ने की मुख्य टिप्पणी

इस मामले को अदालतों के लिए आंख खोलने वाला बताते हुए जज ने कहा कि यह अदालत मानने को तैयार नहीं थी कि ऐसी घटनाएं भी हो सकती हैं और यह मामला इस अदालत के लिए आंखें खोलने वाला है। इस अदालत को इस बात से अवगत कराया गया कि पॉक्सो एक्ट का किस हद तक दुरुपयोग किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि पॉक्सो एक्ट आरोपी पर यह साबित करने की जिम्मेदारी डालता है कि वह निर्दोष है।

जज ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए कहा कि इस एक्ट के तहत किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के परिणाम बहुत गंभीर होते हैं और कठोर दंड का प्रावधान करने के अलावा, जिस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जाता है वह वस्तुतः समाज की नजरों में गिर जाता है और उसे समाज की मुख्यधारा से वस्तुतः दूर कर दिया जाता है।

जज ने यह भी उल्लेख किया कि इस मामले में पिता भाग्यशाली थे, क्योंकि बच्चा खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम था। अदालत ने कहा कि सौभाग्य से इस मामले में संबंधित बच्चा इस अदालत के साथ-साथ नीचे की अदालत (फैमिली कोर्ट) के सामने खुद को बहुत स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में सक्षम था और इसलिए, इसके चेहरे पर यह अदालत यह पता लगाने में सक्षम थी कि अधिनियम का दुरुपयोग किया गया है।

कोर्ट ने बताया ‘सबसे खराब प्रकार का झूठा मुकदमा’

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने अपनी बेटी के भविष्य की परवाह किए बिना अभियोजन शुरू किया था। जज ने कहा कि यह सबसे खराब प्रकार का झूठा मुकदमा है, एक अदालत कभी भी एनकाउंटर कर सकती है। जज ने किलपौक में अखिल महिला पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर को FIR को बदलने और शिकायतकर्ता पर झूठी शिकायत दर्ज कराने के लिए मुकदमा चलाने का निर्देश दिया।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि दूसरी प्रतिवादी को छोड़ा नहीं जाना चाहिए और उसे अपनी ही बेटी की कीमत पर अपने पति के खिलाफ झूठी शिकायत देने के परिणाम भुगतने होंगे। प्रतिवादी पुलिस को दूसरी प्रतिवादी के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 22 के तहत झूठी शिकायत देने पर तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।

जज ने निष्कर्ष निकाला कि यह मामला उन सभी लोगों के लिए एक सबक होना चाहिए जो केवल अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए इस अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग करने का प्रयास करते हैं। बता दें कि जून 2019 में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने के लिए यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की कुछ धाराओं में संशोधन करने को मंजूरी दी थी।

ये भी पढ़ें:

POCSO: पॉक्सो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शख्स की याचिका, कहा- जब लड़की नाबालिग तो ‘लव अफेयर’ जमानत के लिए अप्रासंगिक आधार

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ARTICLE IN ENGLISH:

Wife Files False POCSO Against Husband To Deprive Custody Of Children; HC Orders Police Action Against Woman

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